Tuesday 5 March 2013

सज रहा माँ का दरबार लाल फूलों से..

सज रहा माँ का दरबार लाल फूलों से,
लाल फूलों से सफ़ेद कलियों से,
सज रहा माँ का दरबार लाल फूलों से..

एक अँधा आया .. हाँ जी ..
रो रो के बोला .. हाँ जी..
माँ नैना देदो .. हाँ जी..
अंधे को नैना देना ..अंधे को नैना देना ..
सज रहा माँ का दरबार लाल फूलों से..

एक लंगड़ा आया .. हाँ जी ..
रो रो के बोलो .. हाँ जी..
माँ पैरा देदो .. हाँ जी..
लंगड़े को पैर देना.. लंगड़े को पैर देना..
सज रहा माँ का दरबार लाल फूलों से..

Monday 4 March 2013

!! साईं बाबा के ग्यारह वचन !!


शिर्डी में पड़ेंगे जिसके कदम !
ताल जाएगी हर विपदा उसकी !!


तुर्बतकी मेरी सीडी जो चढ़े !
दुःख उसका रहे न कुछ बाकी !!


यह छोडके तन मैं जाऊं कहीं भी !
आ जाऊंगा मेरे भक्तों के लिये !!


मांगो मन्नत देगी तुर्बत !
ईमान पूरा मुझपे रखिये !!


मैं जिन्दा हूँ मैं कायम हूँ !
श्रद्धा से करो अनुभव इसका !!


जो मेरी शरण मैं आ ही गया !
दिखाओ बुरा हुआ किसका !!


पास आये मेरे जो जिस दिल से !
मैं देता हूँ उसे वैसे ही मन से !!


मेरा यह वचन तुम याद रखो !
हर बोझ हटा दूँ जीवन से !!


है मदद यहाँ हर एक के लिये !
जो भी मांगो वोह मिल सकता !!


तन मन धन से जो मेरा हुआ !
उसको मैं भूल नहं सकता !!


साईं कहते - वह धन्य हुआ !
जिसने खुदको मुझमें मिलाया !!


आवो पूज्य पिता भगवान..

                           प्रार्थना 

आवो पूज्य पिता भगवान, कर दो जीवन का कल्याण !
तुम ही परम कृपा के सागर, तुम ही गुण मंदिर नटनागर !!


आवो-आवो हे भगवान, कर दो जीवन का कल्याण !
तुम ही सत्य सनातन स्वामी, सब घट वासी अंतर्यामी !!


हम सब घरें तुम्हारा ध्यान,  कर दो जीवन का कल्याण !
जग में बड़े-बड़े दुःख पाये, हम सब शरण तुम्हारी आये !!


हर लो- हर लो दुःख महान, कर दो जीवन का कल्याण !
ब्रह्मानंद विनय सुन लजै, प्रभु प्रिय भक्ति आपण दीजै !!


होमें अर्जुन भीषम सामान, कर दो जीवन का कल्याण !


Saturday 2 March 2013

आवाज देकर प्रभु न बुलाओ..

आवाज देकर प्रभु न बुलाओ, है नजदीक नज़रो से पर्दा हटाओ...
आवाज देकर प्रभु न बुलाओ, है नजदीक नज़रो से पर्दा हटाओ...
नहीं वो किसी के है बंधन में आता
नहीं दर्द पता नहीं दुःख उठता
है आनंद दाता तो आनंद पाओ....
है नजदीक नज़रो से पर्दा हटाओ...

है अपने ही अन्दर कहाँ ढूंडते हो ,
ज़मीं पर है क्यूँ आसमां ढूंडते हो ,
यहीं पर मिलेगा कहीं दूर न जाओ..
है नजदीक नज़रो से पर्दा हटाओ...

है अपने ही अन्दर है वो ही समाया,
मगर वो किसी की नज़र मैं न आया
है आनंद दाता तो आनंद पाओ
है नजदीक नज़रो से पर्दा हटाओ...